
रेलमंत्री ममता बनर्जी ने संघर्षविराम की माओवादी नेता किशनजी की पेशकश का स्वागत किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे सरकार
और नक्सलियों के बीच मध्यस्थता के प्रस्ताव पर विचार कर सकती हैं। वहीं, ममता नक्सली नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद के संदर्भ में दिए उस बयान पर कायम हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि उसकी एक सुनियोजित मुठभेड़ में हत्या की गई।
कोटेश्वर राव ने मीडिया के जरिए सरकार से दोतरफा संघर्ष विराम घोषित करने, आजाद की मौत की जांच कराए जाने और मध्यस्थों के नाम नक्सलियों से खुली बातचीत के बाद तय करने की मांग की है। इतना ही उसने चिदंबरम को हटाने की भी शर्त रखी है। दिल्ली रवाना होने से पहले ममता ने पत्रकारों से कहा, हम सौहार्दपूर्ण हल के पक्ष में हैं।
उन्होंने किशनजी के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उसने कहा है कि ममता मध्यस्थता करें तो उन्हें कोई समस्या नहीं है। इस दौरान रेलमंत्री ने कहा कि मैं लालगढ़ में नौ अगस्त को हुई हाल की रैली में माओवादी नेता आजाद की हत्या के बारे में दिए अपने बयान पर अडिग हूं।
उधर, किशनजी के प्रस्ताव के बारे में जब स्वामी अग्निवेश से पूछा गया तो उनका कहना था कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
अग्निवेश ने आजाद की मौत की न्यायिक जांच की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मैंने पीएम से मिलने का समय मांगा है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आंध्र प्रदेश में नक्सली नेता आजाद की मुठभेड़ में मौत ने नक्सलियों को बड़ा झटका पहुंचाया है।